इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
राजस्थान के राजसमंद ज़िले के टरवाड़ा गांव में एक दलित परिवार को अपने बेटे की बारात निकालने के लिए पुलिस सुरक्षा लेनी पड़ी। जातिगत भेदभाव की आशंका के चलते यह कदम उठाया गया। बारात शनिवार को भारी पुलिस सुरक्षा के बीच शांतिपूर्वक निकली, जबकि विवाह समारोह रविवार को संपन्न होना है।
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राजसमंद के पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा और दूल्हे के परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए। आयोग ने इस मामले में 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट भी मांगी है।
राजसमंद के पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया, “गांव में 170 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है और स्थिति पर निगरानी के लिए ड्रोन कैमरों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।”
यह सुरक्षा उस वक्त और ज़रूरी हो गई जब दूल्हे के भाई सुरेश बमणिया ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की। उन्होंने 2022 की एक घटना का हवाला दिया जिसमें इसी क्षेत्र में एक अन्य दलित परिवार की बारात को जातीय समूहों ने बाधित किया था।
गौरतलब है कि हाल ही में मध्य प्रदेश में भी एक दलित दूल्हे पर घोड़ी चढ़ने के चलते हमला हुआ था। ऐसे में टरवाड़ा की यह घटना सामाजिक बराबरी की लड़ाई की एक मिसाल बनकर सामने आई है।
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने इस पहल का स्वागत किया है और कहा है कि ऐसी घटनाएं दिखाती हैं कि आज भी समाज में जातीय असमानता कायम है, लेकिन कानून के संरक्षण से बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।