इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
पश्चिमी दिल्ली के कीर्ति नगर स्थित HUDCO क्वार्टर में 26 वर्षीय दलित नर्स की आत्महत्या ने जातीय उत्पीड़न और पुलिस की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लड़की, जो पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं और एक नर्स के रूप में कार्यरत थीं, ने शुक्रवार को आत्महत्या कर ली। उनके सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा, “उन्होंने मेरी छाती नोची, मेरी गरिमा का अपमान किया। मैं जातिवाद और लोगों की गंदी नजरों से भरी जिंदगी नहीं चाहती।”
घटना का विवरण
घटना 30 अप्रैल को कीर्ति नगर के HUDCO क्वार्टर में शुरू हुई, जब आंगन की सफाई के दौरान कुछ पानी पड़ोसी की कार पर गिर गया। इस मामूली बात को लेकर पड़ोसी शंकर लाल बिश्नोई, उनकी पत्नी और उनके बेटे राजेंद्र (राज) और विकास (विक्की) ने नर्स, उनकी मां और छोटे भाई के साथ मारपीट की। इस दौरान नर्स के साथ जातीय गालियाँ दी गईं और शारीरिक हमला किया गया।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
नर्स और उनके परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन आरोप है कि पुलिस ने उचित कार्रवाई नहीं की। परिवार का कहना है कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने से इनकार कर दिया, जिससे नर्स मानसिक रूप से टूट गईं और आत्महत्या जैसा कदम उठाया।
सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद सामाजिक संगठनों और दलित अधिकार कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और न्याय की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि यह घटना न केवल जातीय हिंसा का उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे सिस्टम पीड़ितों को न्याय दिलाने में विफल हो रहा है।
नर्स की आत्महत्या ने समाज में व्याप्त जातीय भेदभाव और पुलिस की निष्क्रियता को उजागर किया है। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम एक ऐसे समाज में रह रहे हैं जहां न्याय और समानता केवल कागजों तक सीमित हैं।