इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
तमिलनाडु स्थित राजीव गांधी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूथ एंड डेवलपमेंट (RGNIYD) ने 25 मई को तीन मुस्लिम छात्रों को “फ्री फलस्तीन” (Free Palestine) लिखने के आरोप में निलंबित कर दिया। संस्थान ने इस कृत्य को “राष्ट्रविरोधी” बताते हुए छात्रों पर गंभीर दुर्व्यवहार और हॉस्टल परिसर को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है।
निलंबित किए गए छात्र — अस्लम एस, सईद एम ए, और नहाल इब्न अब्दुलऐस — केरल के रहने वाले हैं और मास्टर ऑफ सोशल वर्क (MSW) के अंतिम वर्ष में पढ़ाई कर रहे थे। Maktoob Media की रिपोर्ट के अनुसार, इन छात्रों को अंतिम वर्ष की परीक्षा से ठीक एक दिन पहले निलंबित कर दिया गया, और एक वर्ष के लिए किसी भी सार्वजनिक परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया।
Maktoob Media ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में बताया कि संस्थान ने बिना किसी निष्पक्ष आंतरिक जांच के, केवल “फ्री फलस्तीन” जैसे नारे को आधार बनाकर यह कठोर कार्यवाही की। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और छात्र अधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है।
छात्रों ने इस फैसले को राजनीतिक द्वेष और धार्मिक भेदभाव बताते हुए कहा कि “फ्री पलästीन” एक वैश्विक मानवाधिकार मुद्दा है, जिस पर बोलना ना तो असंवैधानिक है, ना राष्ट्रविरोधी।
देशभर के छात्रों, शिक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना की आलोचना करते हुए कहा है कि अगर उत्पीड़ितों के समर्थन में आवाज उठाना अपराध है, तो शैक्षणिक संस्थान केवल अंधानुकरण की मशीनें बनकर रह जाएंगे।
यह मामला सिर्फ तीन छात्रों के निलंबन का नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारतीय शिक्षण संस्थानों में आलोचनात्मक सोच और अभिव्यक्ति की आज़ादी किस कदर खतरे में है। यह घटना राजनीतिक विचारधाराओं के नाम पर हो रहे भेदभाव की एक चिंताजनक मिसाल बन चुकी है।