इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नशातपुरा इलाके में 16 मई को चार मुस्लिम युवकों को कथित तौर पर गौकशी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने इन युवकों को जुलूस की शक्ल में बाजार में घुमाया। इस दौरान पुलिसकर्मियों और हिंदू संगठन के सदस्यों की मौजूदगी में युवकों से नारे लगवाए गए – “गाय हमारी माता है, पुलिस हमारा बाप है।”
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे मौलिक अधिकारों और मानवीय गरिमा का हनन बताया है।
पुलिस का दावा है कि उन्हें गोकशी और गाय चोरी की सूचना मिली थी, जिसके आधार पर कार्रवाई की गई। लेकिन वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि युवकों को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया, जिससे यह कानून की प्रक्रिया का उल्लंघन प्रतीत होता है।
गौरतलब है कि इससे पहले मार्च 2025 में उज्जैन में भी ऐसा ही मामला सामने आया था, जब दो मुस्लिम युवकों को इसी तरह से सरेआम जुलूस की शक्ल में घुमाया गया था। उस घटना के बाद संबंधित पुलिसकर्मियों को हिंदू संगठनों द्वारा सम्मानित भी किया गया था।
कानूनी जानकारों का कहना है कि किसी भी आरोपी को अदालत में पेशी से पहले सार्वजनिक रूप से इस तरह अपमानित करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिलने वाले सम्मानपूर्वक जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।