इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
भाकपा-माले ने दरभंगा में अंबेडकर छात्रावास के छात्रों से नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को मिलने से रोके जाने की घटना की तीखी आलोचना की है। पार्टी महासचिव कॉ. दीपंकर भट्टाचार्य ने इसे डबल इंजन सरकार के सुशासन पर करारा सवाल बताया है। उन्होंने कहा कि अगर देश का एक प्रमुख नेता छात्रों से संवाद भी नहीं कर सकता तो यह लोकतंत्र नहीं, तानाशाही है।
दरअसल, राहुल गांधी मिथिलांचल के अपने दौरे के दौरान दरभंगा स्थित अंबेडकर छात्रावास में छात्रों से मिलने पहुंचे थे। लेकिन प्रशासन ने उन्हें अनुमति नहीं दी। इसके बावजूद उन्होंने मार्च का नेतृत्व करते हुए छात्रावास में पहुंचकर छात्रों से बातचीत की। भाकपा-माले के मिथिलांचल प्रभारी धीरेन्द्र झा ने इसे “साहसिक और प्रेरणादायक” कदम बताया और कहा कि राहुल गांधी ने सत्ता और सरकार के दमनात्मक रवैये के खिलाफ एक मिसाल पेश की है।
उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन के नेताओं को भी इसी तरह जनसरोकारों के लिए सड़क पर उतरना होगा और सत्ता की तानाशाही को चुनौती देनी होगी।
गौरतलब है कि 11 मई को दरभंगा में आयोजित भव्य सम्मेलन में भाकपा-माले महासचिव कॉ. दीपंकर भट्टाचार्य, पूर्व सांसद अली अनवर, प्रो. लक्ष्मण यादव और पूर्व विधायक मनोज मंजिल सहित कई नेताओं ने सामाजिक न्याय और युवाओं के मुद्दों पर जोरदार भाषण दिए थे। इस सम्मेलन की व्यापक प्रतिक्रिया से एनडीए खेमा घबरा गया है, जिसका नतीजा आज राहुल गांधी के कार्यक्रम में रोड़े अटकाने के रूप में सामने आया!लेकिन छात्रों और नागरिक समाज की सक्रियता ने प्रशासन के मंसूबों को नाकाम कर दिया।
भाकपा-माले का कहना है कि मिथिलांचल की जनता अब बदलाव के मूड में है। पिछली बार अधिकांश सीटों पर एनडीए का कब्जा था, लेकिन इस बार जनता उन्हें सबक सिखाने का मन बना चुकी है।