इंसाफ टाइम्स डेस्क
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम में अहम भूमिका निभाने के दावे को भारत ने सख्ती से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि संघर्षविराम का फैसला दोनों देशों के बीच सीधे संवाद के ज़रिये हुआ था, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से۔
जयशंकर ने हाल ही में नीदरलैंड्स में एक साक्षात्कार के दौरान कहा, “संघर्षविराम और सैन्य कार्रवाइयों का रुकना भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे बातचीत का नतीजा था। अमेरिका ने ज़रूर संपर्क किया था, लेकिन फैसला दोनों देशों ने आपसी बातचीत से लिया।”
उन्होंने आगे बताया कि 10 मई को पाकिस्तानी सेना ने हॉटलाइन के माध्यम से भारत को संदेश भेजा कि वे फायरिंग रोकने को तैयार हैं, जिसके बाद भारत ने भी जवाबी फायरिंग बंद कर दी।
ट्रंप ने कई बार दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे भारत ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
भारत का हमेशा यह स्पष्ट रुख रहा है कि पाकिस्तान के साथ सभी विवादों और मसलों को द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं है।
यह स्थिति ऐसे समय में सामने आई है जब 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की थी, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया था।
विदेश मंत्री जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी कार्रवाइयाँ जारी रखेगा, और यदि आतंकवादी पाकिस्तान में पाए गए तो भारत उन्हें वहीं निशाना बनाएगा।