इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार के सारण ज़िले (छपरा) में हुई दिल दहला देने वाली घटना, जिसमें एक मुस्लिम नौजवान ज़ाकिर कुरैशी को भीड़ ने बेरहमी से पीट-पीट कर मार डाला, अब राज्यव्यापी आक्रोश का रूप ले रही है। इस जघन्य हत्या को लेकर AIMIM बिहार प्रदेश ने शनिवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की और इसे “सरकार प्रायोजित हिंसा” करार देते हुए नीतीश कुमार सरकार की कड़ी निंदा की।
AIMIM बिहार प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक जनाब अख्तरुल ईमान ने कहा “ज़ाकिर कुरैशी की हत्या एक सोची-समझी, सांप्रदायिक मानसिकता का परिणाम है। सरकार की चुप्पी इस हत्याकांड को संरक्षण देने जैसा है। यह भीड़ नहीं, यह सत्ता की शह पर हत्या है।”
उन्होंने बताया कि पार्टी की एक उच्च स्तरीय टीम पहले ही छपरा पहुंचकर पीड़ित परिवार से मुलाक़ात कर चुकी है, जहां उन्हें भरोसा दिलाया गया कि AIMIM इस संघर्ष में उनके साथ है।
अख्तरुल ईमान ने कहा कि अब तक केवल चार लोगों की गिरफ्तारी से संतोष नहीं किया जा सकता। उन्होंने मांग की कि:
सभी दोषियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए
केस की फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हो
पीड़ित परिवार को पर्याप्त मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए
और राज्य में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए
प्रेस कॉन्फ्रेंस में AIMIM ने यह भी कहा कि वह इस मामले को लेकर मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, और अन्य मंचों तक जाएगी।
AIMIM नेताओं ने राज्य सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि नीतीश कुमार की चुप्पी अपराधियों के हौसले बुलंद कर रही है और बिहार में अल्पसंख्यकों का जीना मुश्किल होता जा रहा है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में AIMIM की ओर से मांग की गई कि अगर सरकार न्याय नहीं दिला सकती, तो वह सत्ता छोड़ दे।
इस प्रेस वार्ता में AIMIM के वरिष्ठ नेता व प्रवक्ता आदिल हसन आज़ाद, प्रदेश महासचिव इंजीनियर आफ़ताब आलम, प्रदेश सचिव राणा रणजीत सिंह, अखिलेश्वर शर्मा, और कई अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे।
AIMIM ने साफ किया कि यह लड़ाई केवल ज़ाकिर कुरैशी के परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज के इंसाफ और हक़ की लड़ाई है—और यह तब तक जारी रहेगी जब तक दोषियों को सज़ा और पीड़ित को न्याय नहीं मिल जाता।